Sunday, July 16, 2017

''मेरी दोस्ती '' आजमां करके देखो

हैं मिलते रहे हाथ से हाथ अब तक ,
कभी दिल से दिल भी मिला करके देखो।

नहीं गर मुहब्बत हो मुझसे ओ यारा ,
तो शिकवे शिकायत  गिला करके  देखो। 

है बनते हुए को तो  सब  ने  बनाया ,
कभी  काम  बिगड़ा  बना   करके  देखो।

भागा करोगे  तबाही  से  कब  तक ,
कभी जश्ने -गम भी मना करके देखो। 

दिलाउँ  तुम्हें किस तरह मैं भरोसा ,
भरम अपने दिल का दफा करके देखो। 

अभी तक तो अपने लिए ही जिए तुम ,
कभी  मेरी खातिर  वफा  करके   देखो। 

मिलेंगे  कभी  तो  किसी राह पर  हम ,
हँसी   सपने   ऐसे   सजा   करके   देखो।

दफन है जो दिल में वो यादों का मौसम ,
जो  तन्हा  रहो  तो  जगा   करके   देखो।

छोडो  भी  अब  तुम  बहाने  बनाना ,
नहीं  आ  सको   तो  बुला   करके  देखो।

खिलातें  रहें फूल गमले में अब तक ,
कभी  फूल  दिल  में  खिला  करके  देखो।

तुम्हें हो रही फिक्र क्यूँ  बेवजह  की ,
''मेरी दोस्ती '' आजमां करके  देखो।

नहीं  दिल्लगी है ये ओरों के  जैसी ,
है  सोना खड़ा  ये तपा  करके  देखो।।

No comments:

Post a Comment