Sunday, July 16, 2017

दुश्मन मेरे

तुम न होते तो ये जीवन नीरस होता,
बेकल न होता मन दिल चैन न खोता,
बेपरवाह सी होकर चलती जीवन गाड़ी,
आसानी से कटती जाती उम्र ये सारी | 

गर तुम  आकर राहों में कांटे न बोते ,
आज जो अनुभव पास है मेरे पास न होते ,
जीवन के दुर्गम रस्ते आसां  हो जाते ,
फिर कैसे हम अपनी शक्ति को आजमाते | 

तुमने मुझे सिखाया बिगाड़ा काम बनाना ,
अपमानों से बढ़के आगे नाम कमाना ,
तुम ने चाहा जब भी देना गम का तोहफा,
एक नया गुण बचने का हमने भी सिखा | 

तुम ने कदम हमारे बढ़ते जब जब रोके ,
बढे और हम आगे ज्यादा साहसी  होके ,
जब भी हमे दबाने का है तुमने सोंचा ,
और उठाया हमने अपने सर को ऊँचा |  

माना तुम हो दोस्त नहीं, हो दुश्मन  मेरे ,
लेकिन जो हूँ आज मैं हूँ सब कारण तेरे ,
रात न हो तो दिन की महिमा कैसे जानें  ,
गम के बाद ही खुशियों के दिन लगे सुहाने  || 

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