Sunday, July 16, 2017

वो कहाँ है ?

वो चैन इत्मिनान और सुकून कहाँ है ?
जो चाहिए जीने को वो जूनून कहाँ है ?
ना जाने कहाँ हो गये शिकस्त हौसले ,
जो खौलता था बेधरक वो खून कहाँ है ?

सच के लिए उठने को अब आवाज कहाँ है ?
वो स्वाभिमान देशभक्ति  नाज कहाँ है ?
है अपने - अपने गम से यहाँ त्रस्त हर कोई ,
गमगीं है जहाँ कोई खुश मिजाज  कहाँ है ? 

बादल को अब  बूंदों पे इख़्तियार कहाँ है ?
सागर को भी लहरों पे ऐतवार कहाँ है ?
हर शै नशीब है हुआ ऐशो आराम का ,
पर दिल को एक पल को भी करार कहाँ है ? 

ऊँगली उठी कई बार की भगवान कहाँ है ?
वो सच्ची और प्यारी सी मुस्कान कहाँ है ?
झाँका नही कभी भी गिरेबान  में अपने ,
जो पा सके रब को तू वो इन्सान कहाँ है ?

No comments:

Post a Comment