Sunday, July 16, 2017

किताबों की दुनियाँ

बड़ी ही हँसी मैं किताबों  की दुनियाँ कई राज खुद में छुपाये हुए हूँ ,
जुबां से नहीं जो कही जा सकी है   ,  कई  राज  ऐसे  छुपाये  हुए हूँ| 

पोरस से लेकर सिकंदर की बाते , बाहर की बाते या अंदर की बातें  ,
बड़े शौख से अपने पन्नों के नीचे , हर इक हकीकत दबाए हुए हूँ | 

राजा रानी और सिंहासन के झगड़े , प्रजा भुखमरी और राशन के झगड़े ,
खुशी में भी मैंने मनाई है खुशियाँ  ,  और गम में आंसू  बहाए हुए हूँ | 

माना की कहती है नानी कहानी  ,  मैं रखती हूँ उससे पुरानी कहानी ,
सदियों पुरानी ख्यालों से आगे  ,  तिलस्मी एय्यारी सुनाए हुए हूँ | 

मानव के मन की तहें मैंने खोली , नही जो वो बोला वो बातें भी बोली ,
क्या सोंचता है कोई अपने दिल में , वो जज्बात भी मैं  बताए हुए हूँ | 

लैला और मजनूं के वादे और कसमें , तोड़ी जो हीर और राँझा ने रस्में ,
जमाने के संग-संग मै भी जली हूँ , और प्यार उनका जलाए हुए हूँ | 

वेदों - पुरानों और ग्रंथों की ढेरी , संतों और गुनियों की बातें बहुतेरी ,
रंगे - बिरंगे  अनोखे - अजूबे  ,  कई चित्र खुद पे बनाए हुए हूँ  | 

मैंने समेटे हैं  हर ज्ञान खुद में  , गृह ज्ञान से लेके विज्ञान खुद में ,
लाखों हजारो को मैं अपने दम पे , सफलताओं का रस चखाए हुए हूँ | 

बिगडे  शहजादो को मैंने संवारा , पतितो को पावन बनाके उबारा ,
माने ना माने जमाना ये बातें ,    कई बार दम मैं दिखाए हुए हूँ | 

मैं हूँ कलाओं को कब से संजोये , सुर ताल लय को हूँ खुद में पिरोये ,
नहीं दे सकी साथ जिनका ये दुनिया , मैं साथ उनका निभाए हुए हूँ | 

खोते रहे कई दिन रैन मुझमें ,    पाते रहे सब सुख चैन मुझमें , 
हारे हुए  को भी देके दिलासा  ,  आँखों में तारे चमकाए हुए हूँ |

मगर अब जमाना बदलने लगा हैं, कई और के रंग में ढलने लगा हैं ,
कभी ना कभी लौटेंगे मेरे अपने ,     मैं आस अब भी लगाये हुए हूँ || 

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