Sunday, July 16, 2017

मन में मुस्काती है आशा

बस आखिरी साँस ही बांकी है , फिर भी जीने की अभिलाषा ,
लगती है दुनिया विष जैसी , पर मिटे न पीने  की आशा | 

है पता की वो न आएगा , जो चला गया है इस जग से ,
लगती है झूठी सच्चाई  ,  सच उसके आने की आशा | 

वो फँसा हुआ है उलझन में , कई सालों से कई अरसों से ,
मिटता जाता है जीवन पर , मिटती ही नहीं मन की आशा | 

उम्मीदों का इक गुलशन है ,  ख्वाबों के फूल लगे जिसमें , 
अरमानों के इस सागर का  , पतवार है जीवन की आशा | 

अँधेरे में बन के ज्योती , आ जाती चुपके से मन में ,
उसर-बंजर धरती पर भी , कुछ सपने बोती है आशा | 

बनके तोहफे दरवाजों पर , रहती है मुसीबत खड़ी हुई ,
जब लगती है गम की मूर्छा , संजीवनी होती है आशा  ,

कुछ बुरा नहीं कुछ भला नहीं , जो होता है वो होनी है , 
आने वाला कल अपना है , ढाढस  दे  जाती है आशा |  

जो हर गया उससे पूछो , कैसे वो जीत सका खुद को ,
आँखों में दर्द भरा लेकिन , मन में मुस्काती है आशा || 

No comments:

Post a Comment