Tuesday, October 14, 2014

पागल है दिवाना है दिल

पागल है दिवाना है दिल तेरी बातें करता है ,
कैसे मैं समझाऊं इस को ये तेरी जिद करता  है ।

उसका जाकर हो जाऊँगा मुझ से आकर कहता है ये ,
कैसी बातें करता है ये ,सोंच के मन अब डरता है ।

इतनी मुहब्बत पाल रहा है ना जाने क्या होगा आगे ,
खींच रही मैं डोर इधर को और उधर ये बढ़ता है ।

तुझपर प्यार बहुत आता है तेरा होकर रहता है ये ,
कुछ बोलूं तो मैं दुश्मन हूँ मुझसे आकर लड़ता है ।

सुबहो - शाम तेरी बातों में खोया रहता है पागल ये ,
नाम तुम्हारा ले - ले कर ये हर पल आहें भरता है ।

लाग लगाके ओ हरजाई सुनता ना है दिल की दुहाई ,
देख मेरी क्या हालत हो गई ऐसा भी कोई करता है ।।








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