Tuesday, August 19, 2014

टूट रही हूँ धीरे - धीरे

सच बोलूँ मुस्कान के पीछे दर्द छुपे हैं बहुत घनेरे ,
यूँ लगता है भीतर - भीतर टूट रही हूँ धीरे - धीरे ।।



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