Monday, January 27, 2014

बैठे रहे किनारे पे पर प्यास रही बाकी

बैठे रहे किनारे पे पर प्यास रही बाकी ।

उसके दिल में प्यार नही है चला गया कहके ,
जाते - जाते जान ले गया सांस रही बाकी ।

पतझड़ था और सूखा था उसके जाने के बाद ,                                                                                            
उलझन भरी न जाने कितनी मास रही बाकी ।

लाली थी न मेहँदी थी न काजल ना घुंघरू ,
आँखें थी दो खुली कि उनमें आस रही बाकि ।

ना कोई खत था न कोई फूल नही तोहफा ,
यादें ही यादें बस मेरे पास रही बाकि ।


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