Friday, January 24, 2014

शायरी

जाने किस बात का गुमान लिए बैठे हैं ।
अपनी पलकों पे दो जहान लिए बैठे हैं ।

इक नजर देख ले जालिम कि हम तेरे दर पे ,
कब से  हांथों में अपनी जान लिए बैठे हैं ।

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