Wednesday, December 4, 2013

भूली बिसरी बातों पर अब क्या पछताना

भूली बिसरी बातों पर अब क्या पछताना ,
ले छोड़ दिया तेरी गलियों में आना - जाना।

फिर भी लोग हक़ीक़त दिल कि पढ़ लेते हैं ,
अब भी मुझे बुलाते हैं कह के दीवाना ।

तेरी गली के मोड़ पे अब भी है ये चर्चा ,
भुला दिया है तूने अब हंसना - मुस्काना ।

मेरे कहने से क्या सब कुछ मिट जायेगा ,
नामुमकिन सा है मेरी जां प्यार छुपाना ।

चलो ये वादें देखें कब तक निभ सकते है ,,
मैं भी न आऊँ मिलने तुम भी न आना ।
   

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