Thursday, October 10, 2013

ये दिल है मेरी जान

ये दिल है मेरी जान किराये का घर नही ,
कि जब चाहो रहो और जब चाहोगे चल दो ।

रातों को जाग - जाग के सजाये हैं सपने ,
मोती हैं ये अरमां के न कदमों से कुचल दो ।

खिलता बड़ी मुश्किल से है काँटों में इक गुलाब ,
आहिस्ते से थामों यूँ न हाथों से मसल दो ।

न आओ गली मेरी तो कोई बात नही है ,
पर रस्ते में मिल जाएँ तो नजरे न बदल लो ।

कितनी सफाई दोगे और बेगुनाही के  ,
अच्छा है की चुपचाप मेरे दिल से निकल लो । 

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