Friday, June 21, 2013

गमे - इश्क

कोई इश्क का क्या गुमां करे । 
दिन रात दिल जो जला करे  । 

जल - जलके राख भी ना हुए ,
बस आग उठे धुआँ करे । 

हर ओर पहरा है इश्क का  ,
कोई किस तरह से बचा करे । 

दुश्मन को भी न ये रोग हो ,
दिन रात दिल ये दुआ करे । 

न जाने कब वो सुने मेरी ,
गमे - इश्क दिल से जुदा करे । 

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