Tuesday, May 14, 2013

रात की रानी

हम जगे हैं, रात जगी है , तारे जगे हैं ,चाँद जगा  है ।
हम चलो बीमारे दिल हैं, इन सबको क्या रोग लगा है ।

नींद न आई कई रातों से, कुछ न कुछ मतलब तो होगा ,
खौफ नही है ,जश्न नही है , रंज नही , फिर मसला क्या है ।

रात की रानी रूठी हुई है, मानती ना है कई रातों से ,
गलतफहमियां ज्यादा हो गई , लगे है मसला बहुत बड़ा है ।

सब के सब आगोश में तेरे , इक हम से ही आँखमिचौनी ,
दामन तेरा , पहलू तेरे , रातें तेरी , तेरी रजा है ।

बैठे रहे हम राह में तेरे , पलके न झपकाए इक पल ,
इतना तो बतलादो रानी , अब फिर मिलने कब आना है । 

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