Monday, April 29, 2013

अनमोल दिल

मेरे सीने में दहकता आग सा शोला गया ,
उसको देखा सामने, फिर न कुछ बोला गया । 

सारी बातें लब पे थी , परदा उठाना बाकि था ,
आँख पर उठी नही , लब ही न खोला गया । 

पड़ गया नाजुक सा दिल सौदागरों के हाथ में ,
हीरे सा अनमोल दिल था ,कौड़ी में तोला गया । 

वो उमर अच्छा था

इस अजनबी दुनियां में आके लगता है ,
वो भुला हुआ मेरा शहर अच्छा था ।

ये आसमान सी ऊँची उठी दीवारों से  ,
वो मेरा मिटटी का टूटा हुआ घर अच्छा था ।

इस दम घोटती बंद - बंद गलियों से ,
वो पगडंडी पे चलना वो डगर अच्छा था ।

वो परियों की कहानी ,वो राजा - रानी  ,
वो भूत का , चुड़ैल का डर अच्छा था ।

न खोने का गम था , न पाने की तलब,
वो सादगी ,वो भोलापन ,वो उमर अच्छा था ।

शायरी

कुछ तो बात थी,
 जो वो कह नही सका होगा ,,


....यूँही तो न वो बेवफा हुआ होगा ।

Friday, April 26, 2013

तोहफे यार के

घाटे में रह गये हम हर बार की तरह ,
                 बस प्यार ही देते रहें चाहत में प्यार के ।

ये जज्बात हैं मेरे ,न हैं गजल या कहानी ,
           ये वो दर्द है , गुजरे हैं जिसमे दिन गुजार के ।

रुसवाई है तन्हाई है , जख्मों का जहर है ,
          ये रंजिश नही किसी की , ये तोहफे हैं यार के । 

दोस्ती के दीवाने

अगर हक जताऊ जताने न देंगे ।
जो मैं दूर जाऊ तो जाने न देंगे ।

आती नही दोस्ती भी निभानी ,
निभाऊ जो मैं तो निभाने न देंगे ।

मेरे दोस्तों की तो खूबी यही है ,
कभी दोस्ती को भुलाने न देंगे ।

ख़ुशी में कभी साथ दे या नही दे ,
कभी तन्हा आंसू बहाने न देंगे ।

आदत मेरी रूठ जाने की ज्यादा ,
मगर रूठने के बहाने न देंगे ।

अगर रूठ जाऊ कभी भूल से मैं ,
बहुत देर मुझको सताने न देंगे ।

यही मांगते हैं दुआ हम खुदा से ,
ये दिन दूर दिल से अब जाने न देंगे ।

कैसे जियेंगे भला दोस्तों बिन ,
अगर दोस्ती के दीवाने न देंगे ।


शायरी

हर रोज गुजरते हैं वो होकर मेरे दिल से ,,


जाने क्यूँ हाले -दिल मेरा फिर भी नही समझे । 

Thursday, April 25, 2013

शायरी

मत मांग खुदा से मेरे बदलने की तू दुआ ,,,


तुझे चाहेगा कौन इतना अगर मैं बदल गया ।

ताज्जुब की बात है

तेरे लब पे मेरी बात है , ताज्जुब की बात है ।
ये कैसी करामात है , ताज्जुब की बात है ।

कहते हैं सब तू तकता है अब भी मेरा रस्ता ,
पर रस्ते में न साथ है , ताज्जुब की बात है ।

वादा था तेरा मुझको कभी गम नही होगा ,
गम ही दिया सौगात है , ताज्जुब की बात है ।

तू बनके तो आया था हर दिन की रौशनी ,
पर खौफ की अब रात है , ताज्जुब की बात है ।

मेरा नही हुआ तो किसी का तो हो जाता ,
अजीब तेरी जात है , ताज्जुब की बात है ।

कालिख छुड़ाया करता है सीसे को पोछकर ,
सीसा तो तुझसे साफ़ है , ताज्जुब की बात है ।

सुना है अब भी बांटता है गम तू सभी को ,
खुशियों के भी खिलाफ है , ताज्जुब की बात है ।

रो-रो के दिया करता है तू अपनी सफाई ,
नियत में फिर भी पाप है , ताज्जुब की बात है ।

तू बेवजह मढ़ता रहा है दोष सभी पे   ,
और अपना दोषी आप है ,ताज्जुब की बात है । 

शायरी

फिर तेरा चर्चा हुआ , आँखें हमारी नम हुई ।
                       धड़कने फिर बढ़ गई , साँस फिर बेदम हुई  ।

चांदनी की रात थी ,,तारों का पहरा भी था ,
                 इसलिए ही शायद गम की आतिशबाजी कम हुई ।

Wednesday, April 24, 2013

शायरी

मैं खिलौना बन चूका हूँ या खुदा दिल के लिए ,,

जब भी वो चाहे  ,हंसता है ,रुलाता है मुझे । 

खुबसूरत सी गलती

एक खुबसूरत सी गलती है प्यार ।
           
वफाओं के दम पे ही मिलती है यार ।

अगर मिल जो जाये तो खोना न इसको ,
क्यूंकि,
 खो जाये तो फिर न मिलती है यार । 

शायरी

प्यार से मेरे खीझकर , उसने कहा पत्थर हूँ मैं ,
                     वो चीज हूँ , इन्सां को भी पाषाण कर देता हूँ मैं ।

मैंने कहा इन्सान हूँ , पत्थर पे भी मरती हूँ मैं ,
               पत्थर को भी गर पूज लूँ , भगवान कर सकती हूँ मैं ।

मेरा नाम रहने देना

मेरे दोस्तों मुझपे ये एहसान रहने देना ।
                मेरी मेहनत का इतना अंजाम रहने देना ।

कर लेना कॉपी पेस्ट कोई बात नही है ,
                 पर शायरी के निचे मेरा नाम रहने देना ।

शायरी

मेरे दोस्त तुझमे बगावत नही थी ,
                जिन्दादिली थी , शराफत भड़ी थी ।

मगर ये खलिश क्यूँ भरम दे रही है ,
                  न थी दोस्ती वो तेरी दिल्लगी थी ।


Tuesday, April 23, 2013

शायरी

देना न उसको कोई ,
दिल का कभी पता ,

दिलों से खेलने का उसे शौख है बड़ा । 

आदत है मुहब्बत ,
और लत है आशिकी ,

खिलाडी उसे समझलो दिल का नही बुरा । 

तुम ही कहो मैं क्या करूँ

तुम ही कहो मैं क्या करूँ ,
                 किस बात का चर्चा करूँ ।
दिल देने से तो तुम रहे ,
                बस मैं ही दिल खर्चा करूँ।

ताला लगा रखा है तूने ,
                 दिल के विद्यालय में क्यूँ ,
किसमें लूं मैं दाखिला ,
                किस नाम से पर्चा भरूं ।

तुमने कहा कुछ कर तो लो,
                 दिल नाम कर डाला तेरे ,
ले दिल का सौदा  कर लिया ,
           अब इससे क्या अच्छा करूं।  

शायरी

किसे था पता वो वफा यूँ करेगा ,
                     की हर रोज यूँ दोस्तों  से लड़ेगा ।

न जाने की किसने उसे कह दिया है
                     लड़ेगा तो ज्यादा मुहब्बत बढ़ेगा ।

Monday, April 22, 2013

इन्सान का डर है

पेड़ों ने फूलों को ,
ऐसे दी हिदायत  :-
कलियों को छुपालो ,
यहाँ तूफ़ान का डर है ।

सुना है ,
अब भगवान का ;
 नही किसी को डर ,
आज के इन्सान को ,
 इन्सान का डर है ।

फूलों पे जोर अपना ,
आजमा लिया उसने ,
आजकल इंसान की ,
कलियों पे नजर है ।


Sunday, April 21, 2013

इश्क खरीदारी हो गई

रात भर जागी हमारी आँख भारी हो गई ।
और वो समझे हमें , कोई बिमारी हो गई ।

कौन बोल इश्क है ये , काम भी तो है बहुत ,
बेवजह हल्ला मचाया , इश्कदारी हो गई ।

फेर कर वो चल दिए ,  नजरें हमारी ओर से ,
उनका तो ये खेल था , आफत हमारी हो गई ।

तबतलक मिलते थे वो , जबतक जरूरत थी मेरी ,
अब जरूरत है हमें , कहते हैं यारी हो गई ।

सोचते हैं क्या मिला, कितना मिला, कैसे मिला ,
इश्क जैसे न हुआ , कुछ खरीदारी हो गई । 

मेरी दोस्ती याद आये तो कहना

कोई दिल में शिकवा जो आये तो कहना ।
कभी गम कोई जो सताये तो कहना ।

अभी भीड़ में हो बहुत साथ होंगे  ,
तन्हाई जी जब जलाये तो कहना ।

अभी बोलता है नशा सर पे चढके ,
कभी होश तुमको जो आये तो कहना ।

 माना भरोसा  नही तुमको हम पर  ,
मगर शक कभी आ भी जाए तो कहना ।

कोई जब न समझे गमें हाल तेरा ,
मेरी दोस्ती याद आये तो कहना ।


Saturday, April 20, 2013

इंसान बनना रह गया

कुछ बात बांकी रह गई ,
                     कुछ दर्द कहना रह गया ।
मेरे हिस्से में तो बस ,
                 तेरा गम ही सहना रह गया ।

जिन्दगी है इक नदी ,
                    इस पार मैं ,  उस पार तुम ,
दो पाट में हम बंट गये ,
                     इक साथ बहना रह गया ।

उम्रभर क्या- क्या बने ,
                       इसका बने , उसका बने ,
आदमी ही रह गये ,
                        इंसान बनना रह गया ।  

शायरी

चाह है किसकी भला की गम से होवे वास्ता ,

क्या करे मिलता न हो गर जो ख़ुशी का रास्ता ।

Friday, April 19, 2013

ढूंढता है अब भी दिल

ढूंढता है अब भी दिल ,
                  उसका ही साया किसलिए ।
वो भी तो समझे नही ,
                    मुझको पराया किसलिए ।

अहमियत देनी न थी जब ,
                      दुनियां में दिल की खुदा ,
बेवजह ही नासमझ सा  ,
                      दिल बनाया किसलिए ।

मैं नही जाता बुलाने से भी ,
                               उसके पास जब ,
आता है वो याद बनके ,  
                      बिन बुलाया किसलिए ।

दिल बड़ा नादान है ,
                      समझा न धोखेबाज को ,
मैं भला नादान की ,
                     बातों में आया किसलिए । 

Thursday, April 18, 2013

दिल कि दास्ताँ

तौबा की कितना दर्द है , दुनियां के दिलों में ।
ये इश्क के मारे हुए , इन्सां के  दिलों में।

लगता है की पल भर को ख़ुशी आई और गई ,
जैसे के चार पल को वो , मेहमां हो दिलों में ।

कैसी बनी दिवार थी , दीवार लग गई ,
कच्ची थी शायद इश्क की, मकां वो दिलों में ।

टुटा जो दिल ,  तब हमें मालूम ये हुआ ,
बसी न जाने कितनी बस्तियां हो दिलों में ।

आहिस्ते किया कीजिये , सभी बातें इश्क की ,
नाजुक है दिल  , ये दिल दास्ताँ हो दिलों में । 

किस्सा पुराना

धडकन की लय ने जोड़ा एक तान- बाना था ।
                       जिन्दगी खाब थी , एक अंजाना फसाना था ।

प्यार के नाम पर इतनी कहानी याद है हमको ,
                    मैं उसकी दीवानी थी ,और वो मेरा दीवाना था ।

हर इक रात सुंदर थी ,परियों की कहानी सी ,
               प्यार के नाम से हर एक पल, हर दिन सुहाना था ।

दुनियां की सभी बातें , बड़ी  बेमानी लगती थी ,
                अपने ठोकर में थी दुनियां,  कदमों में जमाना था ।

अब बस यादें है बाकि  , उन बीते हुए दिन की ,
                    वो अच्छा - बुरा जो था ,बस किस्सा पुराना था ।


Saturday, April 13, 2013

करूं मैं किस लिए शिकवा

मेरा मतलब नही पड़ता की मैं उस राह को देखूं ,
की जिस राह से मेरा खुदा , गुजरा नही करता ।

बहुत मंदिर बहुत मस्जिद , यूँ तो राहों में मिलते हैं ,
पर हर एक दर पे अपना सर  , झुका नही करता ।

इबादत में कमी होगी , जो अब भी दूर हैं उनसे ,
करूं मैं किस लिए शिकवा की वो वफा नही करता । 

मैं खुद से खफा हूँ

है उसकी गलतियाँ , मगर मैं खुद से खफा हूँ ,
मै मेरा न रहा  ,  जबसे उसका हुआ हूँ ।

इक सौदा दिल का हो गया ,नादानी में मुझसे ,
अब हाल है , अपने ही घर मेहमान बना हूँ ।

वो पूछ्ते हैं  ,  कबतलक रुकना है बताओ ,
मैं क्या  कहूँ , ये सोचके गुमसुम सा खड़ा  हूँ  ।

वो मुस्कुराते , जानते थे  ,  ऐसा ही होगा ,
वो दिल था, आज का दिन , उसी दर पे पड़ा हूँ ।

खुदा कुछ ऐसा कर

खुदा कुछ ऐसा कर की  ,  वक्ती मंसूबा बदल जाए ,
मैं खोटा हूँ, मगर तू चाहे तो , खोटा भी चल जाये ।

सदा ठोकर खिलाकर ही   , हमें क्यूँ सीख देते हो ,
गिरा के ओरों को दे सीख , हम देखें सम्भल जायें ।  

माना बेवफाई में   ,  जलन होती जियादा है  , 
पर मेरा दिल जला ऐसे , दिल के गम भी जल जाये । 

बड़ी नादान है नियत , खिलाफत तुझसे करती है ,
सलीका दे इबादत का  , खुराफातें निकल जाये  । 

कबसे ताक  में बैठा है  ,  तेरे दीदार  को ये  दिल  ,
जमाना छोड़ दूँ  , इकबार बस तू मुझको मिल जाए ।   



Thursday, April 11, 2013

शायरी

मेरी जिन्दगी मुझसे ,  यूँ जुदा नही होती ।
                      मेरी खुशियाँ कभी ,  मुझसे खफा नही होती ।

सच है की जुदाई कभी  ,  तयशुदा नही होती  ।
            पर तेरा क्या बिगड़ जाता ,जो तू बेवफा नही होती  ।

शायरी

कितनी मेहनत की उसने मुझको तोड़ने के लिए ,


मैं  भी इन्सां हूँ , वो इस बात से वाकिफ ही न था । 

Tuesday, April 9, 2013

इश्क छोड़ा न जा सका

खाब टूटने से इस कदर दिल टूट गया था ,
की लाख कोशिशों के बाद भी जोड़ा न जा सका ।

बरबादियों के धार में , ऐसी लहर उठी ,
बांध बांधा न जा सका , रुख मोड़ा न जा सका ।

उसने इस कदर आदत लगाई इश्क की मुझको ,
सांसें छुट भी गईं  , इश्क छोड़ा न जा सका ।


Monday, April 8, 2013

हम दुनियाँ है

दिल के बाहर भी दुनियाँ  है ।
दिल के अंदर भी  दुनियाँ है ।

ये दुनियां है , वो  दुनियाँ है ।
अंदर बाहर , दो  दुनियाँ है ।

अंदर खाली , बाहर खाली ,
अंदर  भड़ी , भड़ी  दुनियाँ है ।

इनकी दुनियां , उनकी  दुनियाँ  ,
यारों कितनी बड़ी  दुनियाँ है ।

कभी लगे है , गम  दुनियाँ है ,
कभी लगे सरगम  दुनियाँ है ।

दुनियां के भीतर  दुनियाँ  है ,
तुम दुनियाँ हो हम  दुनियाँ है। 

तू बेवफा है

आँसू मेरे गिर रहें हैं तो क्या है ।
                मैंने तुम्हे तो नही कुछ कहा है ।
टूटा मेरा दिल मुझे दर्द होगा ,
          तुम तो रहो खुश तुम्हे क्या हुआ है ।

मुड -मुड के क्यूँ देखते हो मुझे जब ,
                  मुझसे तुम्हारा नही वास्ता है ।
लो मान ली मैंने शर्तें तुम्हारी ,
           तुम्हारा ,मेरा अब अलग रास्ता है ।

बहुत आजमाइश करी तुमने दिल की ,
          बुरा हाल दिल का मेरे कर दिया है ।
मैंने कभी पर शिकायत की तुमसे ,
               कभी ये कहा है की तू बेवफा है ।


शायरी

तरीका मौत का मेरे  , उसने क्या खूब ढूंढा हैं ।


जलाने के लिए मुझको , नया महबूब ढूंढा है । 

Saturday, April 6, 2013

शायरी

कभी उससे शिकायत , तो कभी उसको शिकायत ,

ये दौरे - शिकायत ,  यूँही चलता है उम्र- भर । 

शायरी

मुहब्बत में बहुत ज्यादा , नफा - नुक्सान करते हैं  ,

वो सचमुच प्यार करते हैं , या की व्यापर करते हैं ।

Friday, April 5, 2013

हीर मेरी रोती तो होगी ।

कह न सकी पर मुझसे बिछडके , पीड उसे होती तो होगी ।
याद में मेरी सुबक - सुबक के ,  हीर मेरी रोती  तो  होगी ।

मेरी एक झलक को पहरों  , तकती तो होगी खिड़की से ,
पास मुझे न पाकर वो भी , अपना चैन खोती तो होगी । 

रोज रात आँखों में उसके , मेरे सपने आते होंगे  ,
मेरे एहसासों में खोकर , करवट ले सोती तो  होगी । 

समझ गई होगी अब तो वो , प्यार का मतलब क्या होता है ,
नाम वफा के आते ही वो  ,  नाम मेरा लेती तो होगी ।

मेरे बिन उसको भी जीवन , खारा सागर लगता होगा ,
मन ही मन में मेरा दिलासा , दिल को फिर देती तो होगी ।

दुनिया को तो पता यही है , की वो भी बेवफा हुई है ,
दाग लगा है जो दामन पर , सिसक - सिसक धोती तो होगी । 

मुझे अच्छा नही लगता

उसके हालात पे रोना ,  मुझे अच्छा  नही लगता ।
मगर चुपचाप भी रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।

वो कहता भी है मुझको छोड़ दो , अब हाल पे मेरे ,
मगर यूँ बेखबर होना , मुझे अच्छा नही लगता ।

मैं कुछ समझा नही पाती , वो कुछ जता नही पाता ,
की उसका कुछ भी न कहना  , मुझे अच्छा नही लगता ।

जिसके पास है गम  , वो दवाई क्यूँ नही करतें ,
की यूँ तकदीर पर रहना , मुझे अच्छा नही लगता ।

मुझे मालुम है   , वो पार भी आएगा दरिया से  ,
उसका मझधार में बहना , मुझे अच्छा नही लगता ।

दिल की बात मैं  ,  ये सोचकर कहती नही उससे ,
की बिना मांगे सलाह देना , मुझे अच्छा नही लगता । 

Thursday, April 4, 2013

शायरी

माँ के लिए बच्चें ,  किसी दुआ की तरह हैं ,

पर सच तो है हर एक माँ , खुदा की तरह हैं  ।



शायरी

भूले से कभी  , याद भी करते नहीं हैं वो ,

और बेवफा हम हो गये हैं, कहते हैं सबको ।