Sunday, March 24, 2013

ये कैसी दोस्ती है

ये कैसी दोस्ती है  ,  जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।

मिलते हैं तो कहते हैं की मिलते नही हो क्यूँ ,
बहाने बनाने में तो ,   दोनों अभ्यस्त हैं  ।

पूछने से पहले ही  ,  हो जाते हैं शुरू ,
उलझे हुए जीवन से  आज , कितने त्रस्त हैं ।

न वक्त है , न मौक़ा है , न दिल की आरजू ,
वो भी अपने में मस्त है , हम भी अपने में मस्त है ।

न उनको कोई दर्द है ,  न हमारे दिल में खार ,
न ये उनकी शिकस्त है , न हमारी शिकस्त है ।

ये कैसी दोस्ती है  ,  जिसमें दोनों व्यस्त हैं ।
वो भी मतलबपरस्त हैं ,हम भी मतलबपरस्त हैं ।

No comments:

Post a Comment