Thursday, January 17, 2013

शायद इसी को प्यार कहते हैं

रूप बदला कई जन्म बदले ,
रुत बदला और मौसम बदलें ,
वक्त बदला , फिर समय बदला ,
थोडा तुम बदले ,थोडा हम बदलें ,
मगर कुछ था ,
जो बदल के भी नही बदला ,
इक एहसास ,
जो दिल बेकरार करते हैं ।
इक तलाश ,
 जो हम बार बार करते हैं ।
अब हमको यकीन होने लगा ,
शायद इसी को प्यार कहते हैं ।

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