Tuesday, January 8, 2013

दिल न होता

दर्द हुआ जब कम न दुआ से ,
बोला वो रो - रो के खुदा से ,
जीना यूँ  मुश्किल न होता ,
गर सीने में दिल न होता ।

बोले खुदा उसका गम सुनके ,
खाब भला फिर कैसे बुनते ,
प्रेम -दया फिर कुछ ना होता ,
जीवन रस बिन बेरस होता ।

दुआ भला कैसे रंग लाती ,
दर्द न रहता  , दवा न देते  ,
ख़ुशी न होती , रंज न होता ,
दिल न होता ,खुदा न होते ।

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