Thursday, January 31, 2013

मैंने कहा सुन ऐ ख़ुशी

मैंने कहा सुन ऐ ख़ुशी , मुझसे तेरी क्यूँ बनती नही ।
अनबन भी ऐसी क्या कहो , मैं हूँ कहीं तुम हो कहीं ।

उसने कहा ऐ नादान सुन , तूने कहा जो है सच नही ।
मैंने तुझे ढूंढा बहुत  ,  तू  ही  कहीं  मिलती  नही ।

कलियाँ मुझे कल रोककर , फूलों का देती थी वास्ता ,
देखो बहारें आ गईं , गुलशन में तू क्यूँ रूकती नही ।

मौसम जरा नाराज था  ,  कहने लगा यूँ रूठ कर ,
मैं तकता हूँ  रस्ता तेरा , तू मेरी राहें  तकती नही ।

मतलब यही आखिर में था , मेरा ही मैं ,मैं खो गई ,
निकली हूँ मैं तलाश में ,  मैं हूँ कहाँ, मैं ढूंढू कहीं ।

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