Friday, December 7, 2012

हम रूठे तो तुमको मनाना न आया

हम रूठे तो तुमको मनाना न आया ,
दिल रखने का कोई बहाना न आया ।

ये किस बेकदर से लगा बैठे दिल हम ,
जिसे नाजे -उल्फत उठाना न आया ।

माना  तुम्हे  प्यार  हमसे  बहुत  है ,
क्यूँ हाले दिल फिर बताना न आया ।

खता  हो  गई  हमसे  नाराजगी  में ,
ये सच है हमे गम जताना न आया ।

मगर रुठ  के हम चले जब वहाँ से ,
तुम्हे आवाज देके बुलाना न आया ।

तुम्हे क्या यकीन प्यार पे न रहा था ,
दो आंसू वफा के बहाना न आया ।

बहुत चोट तुमने लगाई जो दिल पर ,
जरा सा भी मरहम लगाना न आया ।

खता तुमने की पर सज़ा मैंने पाई ,
तुम्हे आके हमको बचाना  न आया ।

समझ पाते  तुम जो मेरी वफा को ,
शायद अभी वो जमाना न आया ।

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