Thursday, December 27, 2012

इंसान ही हो भगवान नही

जो बिक जाये ईमान नही ,
ईमान नही,  इंसान नही ।
मेरी दौलत , मेरी रहने दो ,
ईमान मेरा  ,सामान नही ।

इक बार गिरे ,दो बार गिरे ,
तुमको  गिरने की आदत है  ,
पर हमे गिरा न पाओगे ,
भोले  हैं हम , नादान नही ।

कभी धोखा देकर जित गये  ,
अब खेल खेलते नये- नये ,
आईने में देखो तो जरा ,
इंसान हो , क्या शैतान नही ।

अब इम्तहान इतना मत लो ,
ईमान बेचकर मत खेलो ,
 ऊँचे पद पे बैठे हो मगर ,
इंसान ही हो भगवान नही । 

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