Monday, December 17, 2012

हर हाल में मैं खुश हूँ

हर हाल में मैं खुश हूँ  ,  ये  मेरी  वफा  है ।
पर अबतलक तू गम में है , ये तेरी सज़ा है ।

आसान है तू कर  के खता  , मांग ले मांफी ,
मैं माफ़ करूं या न करूं  ,  मेरी रज़ा है ।

मैंने कहा जब प्यार , तो समझे नही थे तुम ,
अब चुप रहूँ ,  तो भी तुम्हे मुझसे गिला है ।

कितना खराब हाल  था  , तेरे प्यार में मेरा ,
तुमको तो हर बार मुझसे  , प्यार मिला है ।

मै तडपी बहुत फिर भी  ,  तुम्हे दर्द न हुआ ,
फिर किस तरह कहते हो  , दिल मुझसे जुड़ा है ।

कितने हसीन पल थे  , जब साथ थे हम - तुम ,
अब तन्हा -  तन्हा रहना ,कहो  कितना बुरा है ।

मैंने  तो  झूठा  प्यार  ही  ,  खोया है मुझे क्या ,
फुरसत में कभी सोंचना    ,  तेरा क्या गया है ।

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