Thursday, November 22, 2012

फिर सुबह होगी

जगाओ मत अँधेरा है , मुझे कुछ और सोने दो ।
मेरे टूटे हुए सपने  ,  मुझे  फिर  से  पिरोने  दो ।

अब जागेंगे हम तब ही , यारों जब सहर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

टूटी  हुई  है  नाव  ,  और  मंजिल  अधूरी   है ।
मगर जाना है हमको पार ,तो चलना जरूरी है ।
जो तू साथ दे मेरा , तो फिर आसां  डगर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

मै  अपना  नाम गर , राम से रहमान धर लूँ तो ।
मन्दिर दूर है , मस्जिद में अपनी पूजा कर लूँ तो ।
क्या  मेरे  लिए  बदली  हुई  ,  तेरी  नजर  होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

हमे न इल्म था  , वो  दुश्मनी  ऐसे  निकालेगा ।
भड़े   बाजार  ,  मेरे  प्यार  को  ऐसे  उछालेगा ।
सुनो लगता है यूँ , अपनी कहानी  भी अमर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

मुकद्दर में दीवानों के , लिखी तकदीर ने मुश्किल ,
ले -  ले  इम्तहां तू भी  ,  अगर चाहे ऐ मेरे दिल ,
मेरे प्यार पे नफरत तुम्हारी  ,  बेअसर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

प्यार के साथ हम ,  थोड़ा सा तकरार रख लेंगे ।
छाँव  तन्हा  न रखेंगे , धूप  दो  चार  रख  लेंगे ।
रहेंगे साथ दोनो , जिन्दगी अच्छी  बसर  होगी ।
 हमे मालूम है ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

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