Friday, November 30, 2012

जिन्दगी ने क्या सिखाया

जिन्दगी ने क्या सिखाया ,
बस ख़ुशी की बात कर ।

और ख़ुशी ने क्या सिखाया ,
प्यार से हर बात कर ।

प्यार ने फिर क्या सिखाया ,
दोस्ती के साथ चल ।

दोस्ती ने क्या सिखाया ,
चल खताएं माफ़ कर ।

फिर खता ने क्या सिखाया ,
देख कर हर राह चल ।

राह ने फिर क्या सिखाया ,
रुकना मत' दिन रात चल ।

सच बोलने का सर मेरे इल्जाम कर दिया

सच बोलने का सर मेरे , इल्जाम कर दिया ,
बेअदब कहके  ,  मुझे बदनाम कर  दिया ।

जब झूठी शान गाई , तो सर पे बिठा लिया ,
फरमाया हकीकत तो , सरेआम कर दिया ।

हर एक को यकीन ,  दिलाये तो किस तरह ,
न जाने किसने ,सच्चा मेरा नाम कर दिया ।

वो कहते हैं  ,  दिल तोड़ते नही है किसी का ,
बस इसलिए पीया की आगे जाम कर दिया ।

उसने  कहा  बुरा तो  ,  हंसके  टाल गये हम ,
हमने कहा तो  ,  जीना ही हराम कर  दिया ।

बेईमान दिल न जाने , किसका हो गया जाके ,
उसकी तलाश में  , सुबह से शाम कर  दिया ।

थक गया लिख-लिख के कलम, कुछ नही बदला ,
अच्छा हुआ , हाथो को कुछ आराम कर  दिया ।

Thursday, November 29, 2012

इक दीया

राहों में मिला मुझको , इक जलता हुआ दीया  ,
चोट  में  हवाओं  की  ,  पलता   हुआ  दीया  ।

हालात  पे  उसकी  जरा ,  आई  मुझे  दया ,
बचाव  में उसकी  , मैंने  दामन  बढ़ा दिया ।

आदत से जलाने की , पर वो बाज  न आया ,
दामन  मेरा  जलाने  , मेरी  ओर  भी  बढ़ा ।

मैंने  बड़ा  सम्भाला  उसे , जब नही सम्भला ,
इक  फूंक  मारी  मैंने ,  और दीया बुझा दिया ।

मै

मै वो बला हूँ , जिससे पार पा न सकेगा ।
मै वो अदा हूँ , जिसके पार जा न सकेगा ।

तू कह तो तेरी सोंच के , परतों को खोल दूँ ,
उलझाऊंगी  ऐसे  की ,  पार आ न सकेगा ।

वो  आग  हूँ  , जो  दूर  से  भी देती है जलन ,
वो पानी हूँ ,  जिससे जलन बुझा न सकेगा ।

तुझको  बड़ा  गुरुर  है  ,  अपने  वजूद  पर ,
मेरी शख्सियत के पास भी ,तू आ न सकेगा।

हर खेल से वाकिफ हूँ मै , माहिर हूँ खिलाडी ,
खेलूं  अगर  जो तुझसे  ,  तू  हरा  न सकेगा ।

किस्मत की दौड़ में भी ,  आगे हूँ मै तुझसे ,
तू दौड़ेगा कितना भी ,  पास आ न सकेगा ।

मै  वो दवा रखती हूँ , जो भरते हैं जख्म को ,
मै  वो जख्म भी देती हूँ , जो मिटा न सकेगा ।

मै  साथ  दूँ  तो  तू  ही  ,  बन  जायेगा  खुदा ,
मै  तोड़ दूँ तो खुद को भी , तू  पा न सकेगा ।

कभी सोंच तुझपे मैंने , किये कितने करम हैं ,
इस जिन्दगी भी कर्ज़ तू  ,  चूका न सकेगा ।

तुझको  नही  पता ,  मेरे  हुनर  की  हकीकत ,
मेरे कूंचे से भी निकल के , कहीं जा न सकेगा ।

कुछ  और  देर  रुक  ,  देख  होगा  तमाशा ,
वादा  है  तू  तमाशा  ये  ,  भुला  न  सकेगा ।

Wednesday, November 28, 2012

मेरी जान भला ले रहा है क्यूँ

सौदा -ए- मुहब्बत का उसे इल्म नही क्या  ,
सौदाई दिल के बदले दर्द  दे रहा है क्यूँ ।

उससे कहो इक बार में , मुझको फ़ना कर दे ,
 किस्तों में मेरी जान भला ले रहा है क्यूँ ।|

Tuesday, November 27, 2012

कमबख्त मुहब्बत

जालिम जहाँ वाले हैं की जीने नही देते ,
कमबख्त मुहब्बत है की मरने नही देता ।

नाकारा समझती है , दुनियां हम क्या करें ,
ये दिल है की कोई काम  ही करने नही देता ।

इस दिल के लेन - देन  में , धोखे बहुत  हुए ,
अच्छा यही होता की ये दिल ही नही होता ।

कटपुतली बना रखा है इस दिल ने बेवजह ,
जाने क्यूँ दिल पे किसी का बस नही होता  ।


सच बोलने से शायद तू नफरत करे मुझसे

सच बोलने से शायद तू ,नफरत करे मुझसे ,
पर झूठ बोलने से भला किसका कब हुआ ।

दिल तोड़ने की यूं  तो  , आदत नही मेरी ,
तुमको ही गिला होता सच क्यूँ छुपा लिया ।

मेरी खता बस ये थी , की मै  खेल में रहा ,
और तुमने मेरे खेल को दिल से लगा लिया ।

माना  की  तू  सदमे  में  है ,   मेरे गुनाह से ,
तुमको क्या लगा मुझको कोई गम नही हुआ ।

आदत नही मेरी  ,  की सबसे हाले दिल कहूँ ,
तूने कहा  गम  सबसे और  मैंने छुपा लिया ।

तेरे आंसुओं ने मुझको , कुछ इस कदर  तोडा ,
तू  बद्दुआ  देता  है   ,  मै  देता  हूँ  दुआ ।

जो हो गया वो  , बिता हुआ ला न सकूंगा ,
पर तू बता मेरे लिए कोई सोंची है सज़ा ।

इन्सान हूँ  ,  इंसानियत रखी है बचा के ,
बतला कहाँ से लाऊ मै  तेरे लिए खुशियाँ ।

मुजरिम तेरी खुशियों का  ,  कूचे में है तेरे ,
माफ़ी तू  दे गुनाह की , चाहे  सज़ा सुना ।

Monday, November 26, 2012

चमन फिर से खिल उठे

बरबादियों के गीत अब  , अच्छे नही लगते ,
कोई प्रेम गीत गा , की सुमन फिर से खिल उठे ।

अँधेरा  करके  तूफां  ने ,  अच्छा  नही  किया ,
अब तू ही कर , अच्छा की चमन फिर से खिल उठे ।

बेचारगी  ने  ,  पानी  बना  डाला  खून  को ,
जला तू आग , दिल में अगन फिर से खिल उठे ।

नजरे  जमाये  बैठा  है  ,  इतिहास आज पे ,
बदलाव ला  ,  उदास नयन फिर से खिल उठे ।

सो  गई  दिलों  में  ,  देश - प्रेम  दोस्तों  ,
लगायें वो लगी , की लगन फिर से खिल उठे ।

कोई  तो  स्वार्थ  भूल  के  , आगे  को  आएगा ,
लानी है  वो ख़ुशी , की चमन फिर से खिल उठे ।

इश्क के वो चार दिन

सारा जीवन इक तरफ, और इश्क के वो चार दिन ,
याद  रखा  बस  यही  ,  भूलें  सब  बेकार  दिन ।

उस तरफ दुस्वारियां , मक्कारियां  ,चालाकियां ,
इस  तरफ  नादानी में  , डूबे  हुए  खुद्दार  दिन ।

जिन्दगी  परवान  पर ,  रात  भर  जगती  नजर ,
प्यार  में  डूबे  हुए  ,  मदहोश  से  बीमार  दिन ।

शोखियाँ  वो  हुस्न की  , इतराके  चलना  राह में ,
डालता  वो  इश्क  पे ,  प्यार  का  खुमार  दिन  ।

वो हंसी सपनों की दुनियां ,दिल की वो दीवानगी ,
दिल लगाके  कर लिए  , खुद के ही दुस्वार दिन।

महफिलों  से  भागना  ,  तन्हाइयों  में  जागना ,
यादों  में  गुम  हुए  वो  ,  बेसबब  लाचार  दिन ।

इतनी सी दौलत कमाई ,  जिन्दगी  में  दोस्तों ,
छोड़ दी सारी दुनियां , रख लिए बस चार दिन ।

Sunday, November 25, 2012

रूठी रही कई रोज तक मुझसे मेरी कलम

रूठी रही कई रोज तक , मुझसे मेरी कलम ,
कहने लगी कुछ भी हो वो नफरत न लिखेगी ।  

अरमान ,  मुस्कान ,  दो  जहान  लिखेगी ,
दुनियां की झूठी शानों - सौकत न लिखेगी ।

काँटों की तरह चुभके जो दामन खरोच दे ,
बिगड़ी हुई वो बाप की दौलत न लिखेगी ।

सुकून जो देते हैं  , फसाने  ही  दिलों  को ,
तो बेचैन करने वाली हकीकत न लिखेगी ।

वो बीमार है  , उसको  दवाई  तो  दे  कोई ,
मुकरती हुई दुनियां की ये आदत न लिखेगी ।

हँसते हैं वो दुनिया पे , बस घरों में बैठके ,
मतलबपरस्त , ऐसी शराफत न लिखेगी ।

हालात  से  हारे  हुए  ,  खंडहर  के  वास्ते  ,
मलबों में सिसकती सी , इमारत न लिखेगी ।

वो जितना गिरा , एकदिन उतना ही उठेगा ,
उसके लिए जिल्लत भड़ी किस्मत न लिखेगी ।

तूनें ख़ुदा  ,  हाथों को जो बख्सी है ये नेमत ,
वादा है , कलम मेरी ,  बनावट न लिखेगी ।

आवारा

जीते जी ही वक्त के हाथों  ,  मैंने उसको हारा देखा ।
धूल के निचे दबा हुआ इक , टूटा हुआ सितारा देखा ।

सब ने कहा ,वो पत्थर दिल है ,दर्द नही उसको होता है ,
मैंने जब उसका दिल देखा ,  बच्चों जैसा प्यारा देखा ।

नफरत के उस सौदागर के , नफरत के कितने किस्से हैं ,
दिल ने लेकिन उसके दिल को , प्यार के हाथों हारा देखा ।

जाने किस झोंके ने आके  ,  उसके सपने तोड़े ऐसे ,
फिर उसकी आँखों ने वैसा , सपना नही दुबारा देखा ।

आँखों में सूरज के जैसी, चमक छुपी है उसकी लेकिन ,
उसने जब भी दुनियां देखी , गहराता अँधियारा देखा ।

कहाँ किसी ने देखा ,उसके कंचन जैसे पावन मन को ,
बाहर से दुनियां ने उसको , बस पागल आवारा देखा ।

खेल मुहब्बत का

इक दांव मै चलूंगी इक दांव तुम चलो ,
है खेल मुहब्बत का कोई जंग नही है ।

तुम हो बड़े माहिर इस खेल में हमदम ,
मै  इस तरफ तन्हा कोई संग नही है ।

ये क्या की अपनी जीत पे मगरूर हो गये ,
जाओ जी  तुम्हे खेलने का ढंग नही है ।

इस खेल ने यारा तुझे कितना बदल दिया ,
अब प्यार का चेहरे पे कोई रंग नही है ।

मत सोंचना आँखों में हैं ये हार  के आंसू ,
तुम जीते हो इस बात से हम दंग नही है ।

तुम क्यूँ हँसे अब जाओ मुझे खेलना नही ,
तुम भूल गये  प्यार है  ये जंग नही है ।

Friday, November 23, 2012

मै हार गई वो जीत गया

मै हार गई वो जीत गया ,बस इतना ही अब याद रहा ।
मै हार के भी खुशहाल हुई ,वो जीत के भी बरबाद रहा ।

डूब गया मझधार में वो  , अपना  दुखड़ा  रोते - रोते ,
कभी नही समझा वो नादाँ , किस्मत उसके हाथ रहा ।

सोंच-सोंच के जला किया, कोई रहबर नही हुआ उसका ,
पूछा नही कभी दिल से , क्या वो अपने भी साथ रहा ।

जाल प्यार का रचा गया  ,  और सपनों के दानें डाले ,
फंस के चिड़िया बेचैन हुई ,तब चैन से वो सैयाद रहा ।

उसने नफरत के किस्सों में , किस्सा अपना लिख डाला ,
फिर से कोई दिल टूटा  , और फिर से गम आबाद रहा ।

हम ढूंढा किये उसकी खुशियाँ , इस दुनियां के वीराने में ,
वही  चैन  चुराकर  लोगों  का , बेचैनी  में  हर  रात रहा ।

अब जाके हमको पता चला  , क्यूँ उसकी रब ने नही सुनी ,
वो प्रेम का धागा कच्चा था , तब ही खाली फरियाद रहा ।

ले जश्न मना तू जीत गया , मै चली तुम्हारी महफिल से ,
अब क्या गम तू अच्छा या बुरा , मेरे जाने के बाद रहा ।

Thursday, November 22, 2012

फिर सुबह होगी

जगाओ मत अँधेरा है , मुझे कुछ और सोने दो ।
मेरे टूटे हुए सपने  ,  मुझे  फिर  से  पिरोने  दो ।

अब जागेंगे हम तब ही , यारों जब सहर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

टूटी  हुई  है  नाव  ,  और  मंजिल  अधूरी   है ।
मगर जाना है हमको पार ,तो चलना जरूरी है ।
जो तू साथ दे मेरा , तो फिर आसां  डगर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

मै  अपना  नाम गर , राम से रहमान धर लूँ तो ।
मन्दिर दूर है , मस्जिद में अपनी पूजा कर लूँ तो ।
क्या  मेरे  लिए  बदली  हुई  ,  तेरी  नजर  होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

हमे न इल्म था  , वो  दुश्मनी  ऐसे  निकालेगा ।
भड़े   बाजार  ,  मेरे  प्यार  को  ऐसे  उछालेगा ।
सुनो लगता है यूँ , अपनी कहानी  भी अमर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

मुकद्दर में दीवानों के , लिखी तकदीर ने मुश्किल ,
ले -  ले  इम्तहां तू भी  ,  अगर चाहे ऐ मेरे दिल ,
मेरे प्यार पे नफरत तुम्हारी  ,  बेअसर होगी ।
हमे मालूम है  ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

प्यार के साथ हम ,  थोड़ा सा तकरार रख लेंगे ।
छाँव  तन्हा  न रखेंगे , धूप  दो  चार  रख  लेंगे ।
रहेंगे साथ दोनो , जिन्दगी अच्छी  बसर  होगी ।
 हमे मालूम है ऐ  जिन्दगी  , फिर सुबह होगी ।।

Tuesday, November 20, 2012

मुहब्बत हो नही पाती

न जाने कौन सी बात है उस शख्स में यारों ,
नफरत आ तो जाती है नफरत हो नही पाती ।

दिल कई बार कहता है उससे निभ न पायेगी ,
बगावत आ तो जाती है बगावत हो नही पाती ।

कभी नाराज होकर जब वो मेरा दिल दुखाता है ।
शिकायत आ तो जाती है शिकायत हो नही पाती ।

जी करता है उसके साथ मै जी लूँ फिर बचपन ,
ये चाहत आ तो जाती है  ये चाहत हो नही पाती ।

दिल कहता है उससे मांग लूँ  मै उसके सारे गम ,
ये हसरत आ तो जाती है ये हसरत हो नही पाती ।

बड़ी मासूमियत से जब वो मेरे पास आता है ,
मुहब्बत आ तो जाती है मुहब्बत हो नही पाती ।

उसी में सूरज भी इक छिपा है

रोज शाम को जलता है वो ,
ऐसे  जैसे  कोई  दिया  है ।
उसको ऐसा क्यूँ लगता है ,
यही जिन्दगी यही मज़ा है ।

उसने मन के हर कोने में ,
इतना दर्द दबा रखा है ।
सोचा करता है वो दिल में ,
यही मुहब्बत यही वफा है ।

बहुत से शिकवे लिए हुए वो ,
न जाने क्यूँ ऐसे जी रहा है ।
पूछे कोई तो कहता है सबसे ,
उसे किसी से कहाँ गिला है ।

उसे तो बस इतनी सी खबर है,
जुदा है किस्मत जहाँ से उसकी ।
 नही समझ पाया अबतलक की ,
वो  खूबियों में भी तो जुदा है ।

तलाश में है वो रौशनी की ,
अँधेरे में गुमसुम जी रहा है ।
उसे यकीं कोई दिलाये कैसे ,
उसी में सूरज भी इक छिपा है ।

तू भी उड़े उन्मुक्त

तू भी उड़े उन्मुक्त तुझे मै ,
                अरमानों का ऐसा पर दूँ ।

अपने स्नेहिल एहसासों से ,
                मै तेरा मन पावन कर दूँ ।

अगर यकीं है तुमको मुझपे ,
             और जरा सा संयम रखलो ।

बीन तो लूँ मै पहले खुशियाँ ,
               फिर तेरे दामन में भर दूँ ।

शायरी

कभी  इकबार  जीवन  में ,  मुहब्बत सबको होती है ,
                            हार  के  जीत जाये  ,  ऐसी  चाहत  सबको  होती  है ।

इक तू ही नही हमदम , यहाँ तक़दीर का मारा ,
                           यहाँ तो अपनी किस्मत से शिकायत सबको होती है ।

Saturday, November 17, 2012

मै आइना हूँ

हमारी  जिन्दगी  है  एक  कहानी  की  तरह ,
हवा  हूँ  जिसमें  मैं  और  तू  पानी  की तरह ,

मेरी रुखों से तू  दामन तो यूं  छुड़ा के न जा ।
मै आइना  हूँ ,  मुझसे  नजर  चुडा के न जा ।

मैं वो खुशबू हूँ जो,जरूरी है जिन्दगी के लिए ,
मै बनाई गई  हूँ ,  दुनिया की ख़ुशी के लिए ,

महकता फूल हूँ  , कांटा मुझे बना के  न जा ।
मै आइना  हूँ ,  मुझसे  नजर  चुडा के न जा ।

बहुत कोशिश है तेरी , खुद को छुपाने की मगर ,
कहाँ जायेगा भला  ,  खुद से चुरा के तू नजर ,

मै  तो तस्वीर हूँ तेरी ,  मुझे मिटा के न जा ।
मै आइना  हूँ ,  मुझसे  नजर  चुडा के न जा ।

तू  जर्रा  नही  ,  तू  खुद  में  एक  दरिया  है ,
गमें - निजात  का  , तू  भी  एक  जरिया है ,

अपनी पहचान को नादान यूं मिटा के न जा ।
मै आइना  हूँ ,  मुझसे  नजर  चुडा के न जा ।

तुझे  मालूम  है  , तेरी  जिन्दगी  का  सबब ,
मुझमे देख अपना अक्स, और जाग जा अब ,

मै  तेरी जीत  हूँ ,  मुझको यूं  हरा  के न जा ।
मै आइना  हूँ ,  मुझसे  नजर  चुडा के न जा ।

Friday, November 16, 2012

कोरा खत

कोरा खत वो भेज के बोलें ,
दिल की जुबां कहाँ से लाऊ ।

धडकन की इस बेचैनी का ,
सार तुम्हे कैसे समझाऊ ।

कहीं तू मुझसे रूठ न जाये ,
यही सोंच के चुप रहता हूँ ।

पास मैं तेरे आ नही पाता ,
दूर मै तुझसे कैसे जाऊ ।

मौसम कितना बदल गया है

तुमने क्या बोला सूरज से ,
अब वो भी गुमसुम रहता है ।

जाने तुम कहाँ गुम रहते हो ,
जाने वो कहाँ गुम  रहता है ।

मुझे  पता  है  खेल ये सारा ,
तेरी  उदासी  से  फैला  है ।

दुनिया  वाले  समझ  रहे  हैं ,
मौसम कितना बदल गया है ।

Thursday, November 15, 2012

शायरी

पीने और पिलाने का , हंसी ये दौर रहने दो।
                            कहाँ जायेंगे दीवाने , दिल में ठौर रहने दो ।

चस्का लग गया दिल को, तेरे इश्क का यारा ,
                         वही इक जाम फिर लाओ ,बांकी और रहने दो ।


मै कैसे बेवफा कह दूँ

मै कैसे बेवफा कह दूँ ,
तू रुसवा सजन होगा ।

 छुपा तो लूँ जख्म सारे ,
मगर दिल में जलन होगा ।

तमाशबीन ये दुनियां ,
मज़ा लेगी तमाशे का,

जहाँ के सामने रुसवा ,
मुहब्बत का चलन होगा ।

सबब पूछेंगे सब तुमसे ,
तुम्हारी  बेवफाई  की ,

उठेंगी उँगलियाँ तुमपे ,
झुका मेरा नयन होगा ।

 रहेंगी राज बनके अब ,
हकीकत ये मेरे दिल में ,

मरूंगी मैं तो मेरे  साथ ,
ये किस्सा दफन होगा । 

राह का पत्थर

कभी राह का पत्थर था मै ,
ठोकर रोज लगाते थे सब ।

वही आज जब मूरत बनके ,
बैठा हूँ मन्दिर के अंदर ।

रोज न जाने मेरे आगे ,
झुकने आते हैं कितने सर ।

Wednesday, November 14, 2012

शायरी

मचलता है तुम्हारे जाने की बात पे ये दिल  ,
                क्या पता तुम उधर जाओ इधर ये दिल मचल जाये ।

तुम्हारा क्या चला जायेगा थोड़ी देर में बोलो ,
                     जरा सी देर ठहरो क्या पता तबियत बहल जाये ।

प्यार कभी भी कम मत करना

दूर  भले  ही  हैं  हम  तुमसे ,
                 पर इसका तुम गम मत करना ।

याद  मेरी  जब  आये  तुमको ,
                आँखें  अपनी  नम  मत  करना ।

इतनी सी चाहत है दिल की  ,
                 मुझको  अपने  दिल  में  रखना ।

मेरी  खातिर  साजन  मेरे ,
                 प्यार कभी भी कम मत करना ।

Tuesday, November 13, 2012

शायरी

सनम आपको हम जो दिल ही न देते ,
                      तो  जीना  हमारा  न  दुस्वार होता ।

मगर क्या करे ,हम जो दिल न लगाते ,
                     हमारा  ही  दिल  ये  हमे  मार  देता । 

मेरा दिल जलालो

नफरत  बहुत  है  जमाने के दिल में ,
मुहब्बत भरे अपने दिल में छुपालो ।

बहुत ही बड़ा है सनम दिल तुम्हारा ,
 मुझे भी कहीं अपने दिल में समालो ।

रोये  बहुत याद  में  हम  तुम्हारी ,
आँखों  से  अब  आंसुओं  को चुरालो । 

लड़ते  हुए  इस  जमाने  से  तन्हा ,
बहुत थक गई आओ तुम्ही सम्भालो ।

बहुत  बार  तुमने  है  आके  उबारा ,
हूँ मझधार में फिर से आके बचालो ।

नाराज  हम  तुमसे  होंगे  न  यारा ,
चाहे  हमे  आके  जितना  सतालो  ।

इस  बार  भी  बीती  सूनी  दिवाली ,
लो इस बार भी तुम मेरा दिल जलालो ।


Monday, November 12, 2012

शायरी

मन्दिर खाली  है , मैखाने में  भीड़ लगती है ,
                      भूखें सोते हैं बच्चें , शराबें रोज बिकती हैं ।
कई दिन से ,कई चूल्हों में आग जल नही पाई ,
                    दिलों में आग है इतनी, मकानें रोज जलती हैं । 
 

बड़े शौक से प्यार करते हैं वो

बड़े शौक से प्यार करते हैं वो ।
मुहब्बत में मेरी संवरते है वो ।

रहे दूर हम , राह तकते तो हैं ,
मगर पास जाते, अकड़ते हैं वो।

कहने को कुछ पास आते तो हैं ,
मगर पूछते ही ,मुकड़ते हैं वो ।

इक पल में ही प्यार आता है उनको ,
इक पल में ही फिर बिगड़ते है वो ।

समझते नहीं मेरी मजबूरियों को ,
हर  बात  पे अपनी  अड़ते  हैं वो ।

सारा जहाँ नफरत करता है जिससे ,
मेरी उस अदा पे ही , मरते हैं वो ।

आते  जो  हैं  प्यार  हमसे  जताने ,
पूछे  कोई  फिर  वो  लड़ते  हैं  क्यों ।

शायरी

अगर टूट के तू जो बिखडेगा यारा,
                     सर पे मुहब्बत के तोहमत लगेगी ।

लायेंगे हम ढूंढ़  के तेरी खुशियाँ ,
                      ठहर जा ,जरा और मोहलत लगेगी ।

Saturday, November 10, 2012

दिल की रियासत

दुनियां की तख्तो-ताज , मुबारक रहे तुम्हे ,
अपने लिए तो दिल की, रियासत ही बहुत है ।

हीरे - मोतियों  की  ख्वाहिश  नही  हमें ,
जीने के लिए प्यार की, आदत ही बहुत है ।

रंगीनियों  में  भी  वो  प्यार  भूलते  नहीं ,
प्यार पे उनकी ये  ,  इनायत ही बहुत है ।

दुश्मन बनाने  की  ,  जरूरत  नही  पड़ी ,
दुश्मनी के लिए दिल की ,बगावत ही बहुत है ।

 हमें  इम्तहान  प्यार  में  देना  नही  पड़ा ,
कहते हैं ,तेरे आंसुओं में ,ताकत ही बहुत है ।

गुस्सा  बहुत  आता  है  शैतानी  पे  उसकी ,
पर  क्या  करे  उसमें ,  शराफत भी बहुत है ।

कैसे करे यकीन दिल , दुनिया की बात पे ,
बातों  में  जहाँ  की ,  बनावट ही  बहुत है ।

Friday, November 9, 2012

शायरी

थक जाओ जब अपनी रंगीन मिजाजी से ,
                        तब सोचना तुमने क्या खोया है क्या पाया ।

ताकत बहुत थी तुममे दुनियां को जीतने की ,
                       अफ़सोस है इतना की तू खुद से न जीत पाया ।

Wednesday, November 7, 2012

शायरी

गुस्सा भी है उसी से , ख़ुशी भी उसी से ,
                 नफरत भी है उसी से , दोस्ती भी उसी से ।

इस प्यार भड़ी मीठी सी तकरार के बदले ,
                    वो जान भी मांगे तो ,  दे देंगे ख़ुशी से ।

अजनबी शहर के लोग

कई दिनों के बाद,
उसने खिड़कियाँ खोली ,
अनमनी आँखों से ,
देखते हुए बोली ,
तुम कौन हो ?
क्या तुम्हे जानती हूँ मैं ?
उस दिन से हमको ये मालूम हुआ है ,
इस अजनबी शहर के लोग बोलते भी हैं ।

तुम आओ

प्यार अगर ना दे पाओ , नफरत ही जताने तुम आओ ,
मज़ा खेल का तब आये जब , दांव लगाने तुम आओ ।

जान  की बाजी खेल तो जाये  ,  एक  इशारे पे तेरे ,
इतना सा एहसास रहे गर , मुझे बचाने तुम आओ ।

तुम कहते हो बात तुम्हारी , अनसुनी करते हैं हम ,
कौन सी बात नही मानी , ये ही समझाने तुम आओ ।

तरस  बहुत  आता है तुमको , गर मेरे हालातों पर ,
कसर सभी पूरी कर दो और ,जी बहलाने तुम आओ ।

मेरे इस दीवाने दिल को , चैन तभी मिल पायेगा  ,
होकर के बेचैन कभी जो , प्यार जताने तुम आओ ।

दिल ने हर जर्रे - जर्रे पर ,  नाम तेरा लिख रखा है ,
तुमको गर इनकार हो यारा , नाम मिटाने तुम आओ ।

इसी आस में जीते हैं कभी ,  आओगे हमसे मिलने ,
मैयत में ही यार मेरी पर , किसी बहाने तुम आओ ।


Tuesday, November 6, 2012

शायरी

तेरे दिल से गम हम मिटायें तो कैसे ,
                    ख़ुशी से तेरा वास्ता ही नही है ।

सजा रखी है तुमने काँटों की महफिल ,
                   बहारें तो हैं , रास्ता ही नही है ।

प्यार मुझे कितना आता है

जाने क्यूँ तुमपर यारा ,
                प्यार मुझे इतना आता है ।

कैसे मैं समझाऊं  तुमको  ,
               प्यार मुझे कितना आता है ।

अम्बर में जीतनें तारे हैं ,
                    सागर में जितना पानी ।

फूलों में जितनी खुशबु हैं ,
               समझो तो उतना आता है ।            


शायरी

हम उनके मुहब्बत का नया ढंग देखते हैं ,
                     बदलेंगे अभी कितने उनके रंग देखते हैं ।

पाएंगे किस तरह से वो सुकून सोंचते हैं ,
                  नादान वो तो प्यार में भी वो जंग देखते है ।

Monday, November 5, 2012

शायरी

                             1

ठहरे जहाँ रात भर तू मुसाफिर ,
             ये दिल है , तेरा बसेरा नही है ।

तुझे भी खबर है, मुझे भी पता है ,
              मैं तेरी नहीं हूँ, तू मेरा नही है ।



                             2


रिवाजे - इश्क से अंजान , वो  अभी जानते नहीं ,

की जिसपे प्यार आये वो कली मसला नही करते ।

शायरी

                           1

 किमत भी लगाते  हो  ,  सरेआम  प्यार  का ,


और हमसे  जताते  हो , दिल बिकाऊ नही है ।

                          2

हम जिनके सम्भलने की दुआ करते है दोस्तों ,


वो ही मेरे फिसलने की राह  देखता है रोज  ।



Thursday, November 1, 2012

शायरी

कहता था मुझे, वो है मेरी तकदीर का हिस्सा ,
                जिसे दिल में सजाते हैं , उस तस्वीर का हिस्सा ।

जब परदा उठा , तब ये हकीकत सामने आई ,
                 वो भी है बहुत मजबूर , किसी भीड़ का हिस्सा ।

शायरी

ये बेकरारी कहाँ ले के जाएँ ,
                   सनम ये खुमारी कहाँ ले के जाएँ ।

जहाँ में वही इक जहाँ तुम बतादो ,
                       यादें तुम्हारी जहाँ लेके जाएँ ।