Tuesday, October 2, 2012

कितना अच्छा होता

कब  से  रूठे  हैं , मना लेते तो अच्छा होता ,
गम को हाथों से सहला देते तो अच्छा होता ।

इससे पहले की मार डाले ये कसक मुझको ,
अपने सीने  में छुपा लेते तो अच्छा होता ।

कबसे प्यासे  हैं  , दो बूंद मुहब्बत के लिए ,
प्यार आँखों से पिला देते तो अच्छा होता ।

लोग  कहतें  हैं  सीने  में  मेरे  शोलें  है ,
तुम जो ये आग बुझा देते तो अच्छा होता ।

जिन्दगी  गीत  तराना  मैकशी  लगती ,
तुम भी साथ में गा लेते तो अच्छा होता ।

बैठ  कर  पहरों  तन्हाई  में  बातें करते ,
तुझमे हर दर्द भुला  देते तो अच्छा होता ।

कई रातों से तेरी यादों ने सोने न दिया ,
अपनी बाँहों में सुला देते तो अच्छा होता ।

बिन  तेरे  भी ये जिन्दगी बुरी  तो नही ,
पर जिन्दगी में आ जाते तो अच्छा होता ।

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