Tuesday, September 11, 2012

रूठा खुदा है

हकीकत को रखना साथ , खुदाई समझके ,
यादें  मिटा  देना मेरी , सौदाई  समझके ।
दिल से जला देना मेरी यादों का गुलिस्तां ,
मुझको भुला देना सनम,परछाई समझके ।

इतना कहो मेरा कहा ,कब मानते हो तुम ,
मजबूरियां जो हैं मेरी , सब जानते हो तुम ।
कितना कहा इन्सान सब मिट्टी  के बने हैं ,
फिर क्यूँ  मुझे अपना, रब मानते हो तुम ।

सुनो कभी आके जो मेरे दिल की सदा है ,
मुझसे ही करता भला ,  क्यूँ मेरी दुआ है ।
आती नही समझ तुम्हें रस्मों -रिवाज की ,
कहता है तू  मुझसे की मेरा, रूठा खुदा है ।

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