Thursday, September 6, 2012

मैंने कहा चल रुत बनाते हैं कहानी

मैंने  कहा  चल  रुत , बनाते  हैं  कहानी ,
छोड़  अपना  रुतबा  ,  करते  हैं  नादानी ।

कब तक करें हम ,वक्त बदलने का इंतजार ,
हम ही बदल के , वक्त क्यूँ न करदे सुहानी ।

कोयल की तरह गाएं , बागों में जाके हम ,
बादल को जाके छेड़े तो, बरसाए वो पानी ।

हमको जो हो पसंद , वो रिवाज हम गढें,
कब तक फिरें कंधों पे लिए, बोझ पुरानी ।

वक्त  की  कमान ,  हमें  सौंपे  वो  आके ,
उनको कोई खबर तो दे, आई है जवानी ।

मुमकिन नही हमारे ,  हौसलों को मापना ,
दिन ही नहीं हम रातें भी, रखते हैं तूफानी ।

कल को कोई समझाये की वो बीत गया है ।
अब राज करेगी जहाँ पे, " आज " दीवानी ।

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