Friday, May 4, 2012

दिल की बीमारी

गये  थे  दूर वो  बस  मापने  गहराई  चाहत  की ,
निकल आये अब इतनी दूर वापस जा नही पाए  ।


 बघाड़ा  करते  थे  बड़ी  शेखीयाँ अपने तजुर्बे  की ,
जब उलझे तो  खुद की उलझने सुलझा नही पाए ।


नही चल पाया दिल पे जोर चाहत में किसी का भी ,
दीवाने मिट गये दुनिया को ये समझा नही पाए ।


सच्चे  प्यार  में  चालाकियां अच्छी  नही  लगती ,
अब कहते है जब  मक्कारी  से कुछ पा नही पाए ।


वो  हंसते  हैं  मगर  आँखों  में  कई  दर्द  है  उनके ,
उसकी  याद  बरसों  बाद  भी  वो भुला नही पाए ।


जिस दिन से जहाँ के वास्ते तोडा  वफा  का  दिल ,
वो अपनी शाने - सूरत  पे कभी इतरा  नही पाए ।



जमाने  भर से  कहते है  मुहब्बत  झूठ है  लेकिन ,
जो है सच्चाई दिल की वो कभी झुठला नही पाए ।



वो  कहते  नही  पर जानता  है  हर कोई  ये सच ,
इस दिल के  बीमारी की दवा कोई पा नही पाए ।












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