Thursday, April 26, 2012

शायरी

 जाने हुआ क्या , कहा पे चुकी मुहब्बत ,
 दूर उनके दिल से न कर पाए शिकायत ।
रूठा  रहे  गर मुझसे ,  मेरा  खुदा ऐसे ,
पूरी हो  भला कैसे , फिर मेरी इबादत ।

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