Friday, April 20, 2012

नादान दिल

उसके प्यार में दिल इस तरह बीमार रहा ,
दर्द पा कर भी उसी का ये तलबगार रहा ।
बेवफा प्यार के  सितम  हैं गंवारा  इसको ,
जहाँ के रुतवे भी दिल के लिए बेकार रहा ।

कितना समझाया की नादान मेरी मान ले तू ,
मगर हर  सीख से  मेरी  इसे  इनकार रहा ।
अब न ये मिला,  न वो मिला, गया सबकुछ ,
दरबदर  यार - यार करके  अब पुकार रहा ।

खुदा को कोस  रहा  उसकी  खुदाई  के लिए ,
जहाँ  की  बातों पे  दिल को  न ऐतवार रहा ।
जो मिला उसको तो दिल ये अपना  न सका ,
जो मिला न,उसकी खातिर खुद को मार रहा ।

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