Monday, April 16, 2012

किस्मत का फैसला

हार गए करके किस्मत से हम गिला,
दिल ने जो भी चाहा वो ही नहीं मिला ।
माँगा भी क्या ऐसा जो वो दे नही सका,
हर मोड़ पे बस तोड़ता रहा है हौसला।

जब भी  कोई ख़ाब  लगा आखों  में बसने,
छीन लिया आँखों से सपनों का सिलसिला ।
खुशियों में  शरीक थे  साथी  कई  मगर ,
जब मुश्किलें आई तो  तन्हा ही मै चला ।

इल्तजा  थी  दिल की ये करीब वो  रहें ,
लिख दिया नसीब ने उन्ही से फ़ासला ।  
रोते रहे , हँसते रहें  बस सोच के यही ,
कोई क्या करे ये है किस्मत का फैसला ।

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