Monday, April 9, 2012

अनबन

कुछ न कहना, चुप ही रहना ,
पर सुन तो लो , मेरी बातें |
मेरी ना पूछो कोई बात नहीं ,
बस अपनी खैर तो बतलाते | 
चलो, न बोलो पर पढ़ तो लो ,
क्या कहती है, मेरी आँखें |
इन आँखों में सब लिखा है ,
ये जागी हैं , कितनी रातें |
अच्छा जी अब ना रुकना ,
पर हँस तो दो जाते - जाते |
रूठे हो क्या? तो मना लेते ,
बस एक इशारा कर जाते |
क्यूँ ना सोचा, क्यूँ ना समझा ,
बस तोड़ के चल दिए तुम नातें |
कुछ कहा नहीं, कुछ सुना नही ,
मेरी खता तो मुझको कह जाते |

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